शुक्रवार, १३ ऑगस्ट, २०१०

मै और मेरी बेली, अक्सर ये बाते करते हैं ..

मै और मेरी बेली..
अक्सर ये बाते करते है........ |
तुम ना होती तो कैसा होता?
सचमुच.... तुम ना होती तो कैसा होता?

उस पिझ्झा को मै ना न केहता
वो आईस-क्रीम, मै जी भर के खाता...
मै और मेरी बेली, अक्सर ये बाते करते है,
तुम ना होती तो कैसा होता?

पिछले साल खरीदी मेरी फेवरेट पॅन्ट,
आज हमारा वॉचमन ना पहनता..
मेरे बेल्ट का होल, फिरसे बढाना ना पडता..
मै और मेरी बेली, अक्सर ये बाते करते है...

ये बेली है के या किसी साहुकार का बियाज..
या है किसी नेता की भुख...
या किसी प्रेमी की प्यास,
या किसी की ममता, जो सदा बढती ही जाए...

ये सोचता हु मै कबसे गुमसुम
जबकी मुझको भी ये खबर है,
कि तुम यही हो, हा यही हो
मगर ये दिल है कि कह रहा है
की तुम नही हो, कही नही हो...

मजबुर ये हालात इधर है और बस इधर ही है.
बेली की ये बात इधर है और बस इधर ही है.
केहने को बहुत कुछ है मगर किससे कहे हम
कब तक युही खामोश रहे और सहे हम?

दिल कहता है दुनिया की हर एक रस्म उठा दे
फ्रिज मे पडा हुवा वो "तिरामिसु का पीस" गटक ले...
इतनी तो बढी है बेली, और थोडी बढा दे..
क्यू दिल मे सुलगते रहे, लोगोन्को बता दे
हा, हमको भी बेली है, हमको भी बेली है...
अब दिल मे यही बात इधर भी है, उधर भी है...

- बेली का जलवा :-)
('विथ अ पिन्च ऑफ सॉल्ट)